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Chapter 5 सूर्यकांत त्रिपाठी निराला (उत्साह,अट नहीं रहा हैं )

Class 10th हिन्दी क्षितिज भाग -2


कक्षा 10 की एनसीईआरटी पुस्तक "क्षितिज भाग 2" सूर्यकांत त्रिपाठी निराला (उत्साह, अट नहीं रहा है)

कक्षा 10 की एनसीईआरटी हिंदी पाठ्यपुस्तक "क्षितिज भाग 2" में शामिल सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी की कविताएँ "उत्साह" और "अट नहीं रहा है" हिंदी साहित्य के छायावादी युग की अद्वितीय कृतियाँ हैं। निराला जी हिंदी साहित्य के महान कवि, उपन्यासकार, निबंधकार और आलोचक थे। उनकी रचनाओं में समाज की समस्याओं, व्यक्ति की स्वतंत्रता, और मानवीय संवेदनाओं का गहन चित्रण मिलता है.

उत्साह:

"उत्साह" कविता में निराला जी ने मानव की अदम्य इच्छाशक्ति और उसकी अंतर्निहित क्षमता को व्यक्त किया है। यह कविता जीवन में आने वाली कठिनाइयों और चुनौतियों का साहसपूर्वक सामना करने की प्रेरणा देती है। कविता में निराला जी ने जीवन की जटिलताओं के बीच भी उत्साह को बनाए रखने की बात की है, जिससे व्यक्ति अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सके। यह रचना आशावाद और संघर्ष के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को प्रकट करती है.

अट नहीं रहा है:

"अट नहीं रहा है" कविता में निराला जी ने समाज की संकीर्णताओं और बाहरी दबावों के बीच एक व्यक्ति की मानसिक स्थिति का चित्रण किया है। इस कविता में निराला जी ने उस स्थिति को व्यक्त किया है जब व्यक्ति के मन और उसके बाहरी संसार के बीच असंतुलन उत्पन्न होता है। कविता में उन्होंने इस अंतर्द्वंद्व को बेहद संवेदनशीलता और सूक्ष्मता के साथ प्रस्तुत किया है। यह रचना निराला जी के गहन मानसिक और भावनात्मक संघर्ष का प्रतीक है.

महत्त्व:

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी की ये कविताएँ उनकी गहन सोच और समाज की जटिलताओं के प्रति उनकी संवेदनशीलता को दर्शाती हैं। "उत्साह" जहाँ जीवन में सकारात्मकता और संघर्ष के प्रति आशावाद को प्रकट करती है, वहीं "अट नहीं रहा है" एक व्यक्ति के मानसिक और भावनात्मक द्वंद्व को दर्शाती है। इन कविताओं के माध्यम से छात्र न केवल हिंदी साहित्य के छायावादी युग को समझ सकते हैं, बल्कि उन्हें जीवन के गहन और वास्तविक अनुभवों से भी परिचय प्राप्त होता है। निराला जी की रचनाएँ उनकी साहित्यिक प्रतिभा और सामाजिक चेतना का उत्कृष्ट उदाहरण हैं.